पिछले दिनों प्राची डिजिटल पब्लिकेशन के द्वारा काव्य प्रभा साझा काव्य संग्रह प्रकाशित किया गया है। जिसका संपादन सुधा सिंह ‘व्याघ्र’ द्वारा किया गया है। ‘काव्य प्रभा’ में देश भर से कई कवियो ने प्रतिभाग किया है, जिनमें से कुछ कवियो के साक्षात्कार प्रकाशित किये जा रहे हैं। पेश है ‘काव्य प्रभा’ काव्य संग्रह के एक लेखक देवेन्दु देव जी से साक्षात्कार-
indiBooks : क्या आप अपने शब्दों में हमारे सम्मानित पाठकों को अपना परिचय देना चाहेंगे? क्योंकि आपके शब्दों में हमारे पाठक आपके बारे में ज्यादा जान पाएंगे।
Devendu ‘Dev’ : मैं देवेन्दु ‘देव’ मूलतः बिहार के मुंगेर जिले के जमालपुर से हूँ। बारहवीं तक की पढ़ाई मैंने केंद्रीय विद्यालय जमालपुर से की। उसके बाद तिलकामांझी भागलपुर विश्वविद्यालय से मैंने वाणिज्य में स्नातक किया। हिन्दी मेरी मातृभाषा है और हिन्दी भाषा मुझे बचपन से अच्छी लगती है। बचपन में एक कक्षा से दूसरी कक्षा में जाने पर पहले ही दिन हिन्दी के पाठयपुस्तक की सारी कहानी-कविताएँ पढ़ लेता था। मुझे कविता लिखना पसंद है। बचपन में छोटी-मोटी तुकबंदियां करता था जिसे मेरी दीदी ने पहचाना और कविता लिखने के लिए प्रेरित किया।
indiBooks : साझा काव्य संग्रह ‘काव्य प्रभा’ में अन्य सहयोगी रचनाकारों के साथ सहयोगी रचनाकार के रूप में आपका अनुभव कैसा रहा?
Devendu ‘Dev’ : अच्छा रहा, ‘काव्य प्रभा’ के लिए विशेष रूप से बनाए गए व्हाट्सएप ग्रुप से सहयोगी रचनाकारों से परिचय हुआ। ‘काव्य प्रभा’ के किसी भी रचनाकार से पूर्व में मेरा कोई संपर्क नहीं था। सबका अपना सोचने का ढंग होता है और लिखने की अपनी-अपनी शैली। नये रचनाकारों से जुड़कर मेरे संपर्क सूची में कुछ अच्छे नामों का इजाफा हुआ इसके लिए ‘काव्य प्रभा’ तैयार करने वाली पूरी टीम का शुक्रिया!
indiBooks : साझा काव्य संग्रह ‘काव्य प्रभा’ में आपकी रचनाएं किस विषय पर आधारित हैं?
Devendu ‘Dev’ : मैं अधिकांशतः श्रृंगारिक रचनाएं लिखता हूँ। अतः ‘काव्य प्रभा’ में मेरी रचनाएं श्रृंगार रस की है।
indiBooks : साहित्यिक सेवा के लिए आपको अब तक कितने सम्मान प्राप्त हुए हैं? क्या आप उनके बारे मे कोई जानकारी देना चाहेंगे?
Devendu ‘Dev’ : मैं एक नया कवि हूँ, ठीक-ठाक लिख लिया है पर कभी मंच नहीं मिला, या यूँ कहें कि कभी प्रयास नहीं किया। जो लिखता हूँ, अपने फेसबुक पेज पर साझा कर देता हूँ। अतः सम्मान मिलने का कोई सवाल नहीं उठता। हाँ, एक बार ऑनलाइन काव्य प्रतियोगिता में भाग लेने पर डिजिटल सर्टिफिकेट मिला था।
indiBooks : क्या आपकी पूर्व में कोई पुस्तक प्रकाशित हुई है? यदि हाँ तो आपकी पहली पुस्तक के बारे में बताएं?
Devendu ‘Dev’ : काव्य प्रभा’ की ही तरह एक और साझा काव्य संग्रह प्रकाशनाधीन है, Oxigle Publishing House की ‘Words that stay forever-1’, यह पुस्तक मई 2020 तक आनी थी पर कोविड-19 के कारण विलंब हो रहा है। इस पुस्तक में मेरी एक कविता छपी है। इसके सितंबर माह के अंत तक आने की संभावना है।
indiBooks : आप कब से लेखन कर रहें हैं और लेखन के अलावा आप क्या व्यवसाय करते है?
Devendu ‘Dev’ : मैंने बताया कि मैं बचपन में छोटी-मोटी तुकबंदियां करता था तो समझिए बचपन से ही लिख रहा हूँ लेकिन छंदबद्ध लिखना मैंने वर्ष 2015 से सीखा जब मेरी पहचान फेसबुक के माध्यम से मेरे कवि मित्रों से हुई। मेरे मित्र अक्षय ‘अमृत’, मुकेश ‘मुंबईकर’ और विकास पुरोहित ‘पूरवे’ जी का मुझे कविता लिखने-सिखाने में अहम योगदान है। लेखन के अलावा वर्तमान में मैं विद्युत विभाग, बिहार सरकार में कार्यरत हूँ।
indiBooks : आपकी पसंदीदा लेखन विधि क्या है, जिसमें आप सबसे अधिक लेखन करते हैं?
Devendu ‘Dev’ : मुझे कविताएँ लिखना पसंद है, कविता में भी मुख्यतः श्रृंगार रस की कविताएँ लिखता हूँ।
indiBooks : हिन्दी भाषा और हिन्दी साहित्य के उत्थान पर आप कुछ कहना चाहेंगे?
Devendu ‘Dev’ : हिन्दी भाषा निरंतर प्रगति पर है, नये लेखक उभरकर सामने आ रहे हैं। नयी वाली हिन्दी में लोगों की रुचि बढ़ी है। छोटी कहानियां भी पसंद की जा रही है और उपन्यास भी। कविताओं का मंचों से प्रस्तुतिकरण का तरीका बदला है, यह और सुदृढ़ और सुनियोजित बना है। तकनीक ने भी अच्छा-खासा सहयोग किया है। तरह तरह के एप्प और सोशल साइट्स ने हिंदी के प्रचार-प्रसार में अच्छी भूमिका निभाई है।
indiBooks : लेखन के अलावा आपके शौक या हॉबी?
Devendu ‘Dev’ : लेखन के अलावा मुझे गायिकी का शौक है।
indiBooks : क्या वर्तमान या भविष्य में कोई किताब लिखने या प्रकाशित करने की योजना बना रहें हैं? यदि हां! तो अगली पुस्तक किस विषय पर आधारित होगी?
Devendu ‘Dev’ : जी, मैं अपनी खुद के काव्य संग्रह पर काम कर रहा हूँ। यह मेरी कविताओं का संकलन होगा। इसमें मुख्यतः प्रेम की कविताएं होंगीं।
indiBooks : अपने पाठकों और प्रशंसकों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
Devendu ‘Dev’ : मैं बस यही कहना चाहूँगा कि पढ़िए और हमेशा कुछ न कुछ सीखते रहिए। ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता। पढ़ाई व्यर्थ नहीं जाती। खासकर अगर आप लिखना चाहते हैं तो और पढ़िए। सफलता यूँ ही नहीं मिलती, इसके लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। इतिहास गवाह है, जितने भी बड़े लोग हुए , उन्होंने आलोचनाएं झेलीं और संघर्ष किया लेकिन अंततः सफल हुए। यहाँ मैं अपना एक मुक्तक उद्धरित करना चाहूँगा: “वही रस्ता चुने हम क्यों, जहाँ पर भीड़ ले जाए, क्यों ढूंढ़े वो मसीहा जो हृदय का पीर ले जाए, चलो अपनी कलम से ही स्वयं तकदीर लिखते हैं, चलेंगे फिर उसी पथ पर जिधर तकदीर ले जाए।”
indiBooks : आपके पाठकों को काव्य प्रभा क्यो पढ़नी चाहिए? इस बारे में कुछ कहना चाहेंगे?
Devendu ‘Dev’ : काव्य प्रभा इसलिए पढ़नी चाहिए क्योंकि इसमें मेरी कविता छपी है 😀। अरे नहीं! मैं मजाक कर रहा था, यद्यपि यह एक कारण हो सकता है लेकिन सिर्फ मुझे पढ़ना ही कारण नहीं हो सकता। मैंने पहले भी बताया कि सबका अपना सोचने का ढंग होता है और लिखने की अपनी-अपनी शैली, काव्य प्रभा में मेरे अलावा बाईस और रचनाकारों की रचनाएँ हैं, विभिन्न मुद्दों पर अनेक कविताओं का रसास्वादन करने का मौका काव्य प्रभा से प्राप्त होगा।
About the ‘Kavya Prabha‘
साहित्य के सभी रसों से पगी ‘काव्य प्रभा’ एक मित्र की भाँति कभी आपको गुदगुदाएगी तो कभी आपके मन-मस्तिष्क को झकझोरती-सी प्रतीत होगी। इस पुस्तक में जहाँ एक ओर विशुद्ध हिंदी की रचनाएँ आपके मन में पैठ जमाती लक्षित होंगी, वहीं दूसरी ओर उर्दू के कुछ ख़याल भी अपना जादू बिखेरते नज़र आएँगे। काव्य प्रभा में स्थापित साहित्यकारों के साथ-साथ नवोदित रचनाकार भी आपको अपनी साहित्य सुरभि की मोहक बयार से सहलाएँगे। ‘काव्य प्रभा’ के सभी रचनाकार साहित्य रूपी सागर के उन अनमोल मोतियों की तरह है जिनकी तलाश हर साहित्य प्रेमी को होती है। उम्मीद है इन्हें पढ़कर साहित्य रसिकों की साहित्य पिपासा अवश्य ही शांत होगी।