वाराणसी में जन्में लेखक डा. चन्द्रभाल सुकुमार पूर्व न्यायाधीश एवं साहित्यकार है। उनकी अब तक दजर्नों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। आपकी प्रारम्भिक शिक्षा वाराणसी में हुई है। उन्होने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से हिन्दी में स्नातकोत्तर और गोरखपुर विश्वविद्यालय से विधि-स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है।
डॉ. चन्द्रभाल जी को हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग से ‘साहित्य रत्न’, विक्रमशिला हिन्दी विद्यापीठ से ‘विद्याा-वाचस्पति’, ‘विद्या सागर’, ‘भारत गौरव’ एवं ‘साहित्य शिरोमणि’, इटावा हिन्दी सेवा निधि द्वारा ‘श्याम नाथ कक्कड़ हिन्दी विधि सेवा सम्मान 2012’ से समादृत आदि सम्मानित उपाधियों से सम्मानित किया जा चुका है।
डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा ‘‘समकालीन हिन्दी गजल को चन्द्रभाल सुकुमार का प्रदेय’’ विषयक शोध प्रबन्ध पी.एच.डी. हेतु स्वीकृत हो चुका है।
डॉ. चन्द्रभाल जी काव्यायनी साहित्यिक वाटिका (तुलसी जयंती, 1984) के संस्थापक-अध्यक्ष है। 35 वर्षों की न्यायिक सेवा के उपरांत जनपद न्यायाधीश, इलाहाबाद के पद से 2010 में सेवा निवृत्त हैं। डॉ. चन्द्रभाल जी 2011 में राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग, उ0 प्र0 लखनऊ में वरिष्ठ न्यायिक सदस्य के पद पर नियुक्त एवं प्रभारी अध्यक्ष के पद से 2016 में सेवा-निवृत्त होकर साहित्य सेवा कर रहें है।
प्रकाशित कृतियां:-
हिन्दी गजल संग्रह:-
- नदी के निकट (1985)
- नीर गंधा (1991)
- आप के पास से गुजरता हूं (1993)
- कंठ नीला हो गया है (1997)
- शब्दों के रूद्राक्ष (2000)
- गजल रामायण (2003)
- मैं नदी की धार हूं (2004)
- अप्सराओं के लिए सन्यास होते हैं (2013)
- एक सूर्य कल भी (2017)
- इस नदी से बात करनी चाहिए (2018)
- बनारस के कबीरों से (2018)
- गजल भागवत (2018)
- पत्ते हरे होने तक (2019)
- आदमी अरण्यों में (2019)
- आषाढ़ को जाने न दूंगा
- धूप बिन दिन
- आम्रवन से एक पल्ल्व
- आकाश और भी
हिन्दी गजल पुस्तिकाएं:-
- मेरे लिए सफर है आज की गजल (1995)
- जब संवरती है गजल में चेतना युग की
- वेद-मंत्रों की धरा उत्सव मनाती है (1998)
- देखिए, आकाश को मत भूलिए (2004)
अन्य काव्य:-
- शक्ति शतक (1986, 2017)
- अभिनव कुमार-सम्भव (काव्य नाट्य) (1986)
- फूलों के पास क्या है (मुक्तक संग्रह) (2008)
- मैं समय को रचता हूं (कविता संग्रह) (2013)
- मेघदूत (काव्यानुवाद) (2019)
- राम की परीक्षा (खण्डकाव्य) (2019)
आडियो कैसेट:-
- गजल के दो पल (1998)
दो दर्जन से अधिक सह-संकलनों में रचनाएं संकलित, प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित एवं आकाशवाणी के विभिन्न केन्द्रों से प्रसारित। शताधिक साहित्यिक, सांस्कृतिक, न्यायिक एवं सामाजिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित/अलंकृत।