About the Book
भावना के भाव का ये बाढ़ लेकर,
दिवस-दिवस अंतःकरण का ज्वार लेकर।
रहा भटकता अनभिज्ञ सा अबोध हो मैं,
रश्मियों के बागवान की आश लेकर।
इन्हीं बुझती-जलती, निःशब्द चिंगारियों की माला को पिरोते हुए, अंधी गलियों से रोशनी की ओर अग्रसर होने की प्रबल इच्छाओं को शब्दरूपी जाल में बुनने की चेष्टा भर है ये मेरी कविता-संग्रह।
About the Author
02 जनवरी, 1990 को जन्में बिहार के असरगंज, मुंगेर निवासी कुन्दन जी की रचनाएं देशभर की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशित होती रहती है। लेखक से ई-मेल kundan01901@gmail.com पर संपर्क किया जा सकता है।
Description of Book
Author
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Bhavaveg
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ISBN
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978-93-87856-04-2
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Language
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Hindi
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Binding
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Paperback
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Genre
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Poetry
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Pages
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120
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Publishing Year
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January, 2020
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Publisher
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Prachi Digital Publication, Meerut, Uttar Pradesh
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